Ram Puja Vidhi - घर पर ही ऐसे करें राम दरबार की पूजा | राम पूजन विधि

  • 2024-01-12
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22 जनवरी 2024 का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है, क्योंकि इस दिन अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस अवसर पर सभी देशवासी अयोध्या जाकर इस आयोजन में शामिल नहीं सकते है। ऐसे में आप घर पर ही इस प्रकार श्रीराम जी की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

राम दरबार पूजा विधि/Ram darbar Puja Vidhi

सुबह उठकर रामजी का स्मरण करें। इसके बाद स्नान आदि कामों से निवृत होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को साफ करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद लकड़ी की चौकी बिछाएं और राम दरबार की तस्वीर स्थापित करें। तस्वीर को इस तरह रखें कि इसका मुख पूर्व दिशा में की ओर हो।

इसके बाद पंचामृत से भगवान राम का अभिषेक करें और उन्हें फूल, रोली, अक्षत धूप, दीप आदि अर्पित करें। भगवान राम के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करें। इसके बाद रामचरितमानस, सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। अंत में राम दरबार की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें।

Our YouTube Video: 500 सालों का इंतजार खत्म, 22 जनवरी को प्रभु श्री राम की प्राण प्रीतिष्ठा

राम चालीसा/Ram Chalisa

॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं

॥ चौपाई ॥
श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥

निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई ॥

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।
ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥

जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥

दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।
जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥

तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥

तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।
दीनन के हो सदा सहाई ॥

ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥

चारिउ वेद भरत हैं साखी ।
तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥

गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥

नाम तुम्हार लेत जो कोई ।
ता सम धन्य और नहिं होई ॥

राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ॥

शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा ॥

फूल समान रहत सो भारा ।
पावत कोउ न तुम्हरो पारा ॥

भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो ॥

नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥

लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी ॥

ताते रण जीते नहिं कोई ।
युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ॥

महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥

सीता राम पुनीता गायो ।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ॥

घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥

सो तुमरे नित पांव पलोटत ।
नवो निद्धि चरणन में लोटत ॥

सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी ॥

औरहु जो अनेक प्रभुताई ।
सो सीतापति तुमहिं बनाई ॥

इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा ॥

जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।
ताको मुक्ति अवसि हो जावै ॥

सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥

तुमहिं देव कुल देव हमारे ।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ॥

जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥

रामा आत्मा पोषण हारे ।
जय जय जय दशरथ के प्यारे ॥

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥

सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।
सत्य सनातन अन्तर्यामी ॥

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै ॥

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।
तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं ॥

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा ॥

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।
नाम तुम्हार हरत संतापा ॥

सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।
तुमहीं हो हमरे तन मन धन ॥

याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥

आवागमन मिटै तिहि केरा ।
सत्य वचन माने शिव मेरा ॥

और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥

साग पत्र सो भोग लगावै ।
सो नर सकल सिद्धता पावै ॥

अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥

श्री हरि दास कहै अरु गावै ।
सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥

॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥

राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥

श्री राम की आरती का महत्त्व

भगवान श्रीराम की आरती करने से घर की जितनी भी नकारात्मक शक्तियां होती है, वह नष्ट हो जाती है। घर में माता लक्ष्मी बजरंगबली की कृपा बनी रहती है

यह भी पढें: जानें ज्योतिष अनुसार क्या है आरती का महत्व?

भगवान श्री राम की आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

जानें राम के 8 मंत्र

भगवान राम का नाम स्वयं में एक महामंत्र है। राम नाम का मंत्र सर्व रूप मे ग्रहण किया जाता है । राम नाम के जप से ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है और अन्य नामो कि अपेक्षा राम नाम हजार नामों के समान है।

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सर्वार्थसिद्धि श्री राम ध्यान मंत्र
ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम ! श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

किसी संकट में सहायता हेतु
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्। कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥ -- आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।

ग्रह क्लेश निवारण और सुख संपत्ति दायक
हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा। गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥ हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते। बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

चहुओर सफलता के लिए
" ॐ राम ॐ राम ॐ राम ह्रीं राम ह्रीं राम श्रीं राम श्रीं राम - क्लीं राम क्लीं राम। फ़ट् राम फ़ट् रामाय नमः ।

प्रतिदिन प्रभु के स्मरण हेतु
|| श्री राम जय राम जय जय राम ||

मनोकामना पूर्ति हेतु
|| श्री रामचन्द्राय नमः ||

विपत्ति में रक्षा हेतु
|| राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने ||

मुक्ति और प्रभु प्रेम हेतु
|| नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ||
|| लोचन निजपद जंत्रित जाहि प्राण केहि बाट ||

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