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अष्टमी तिथि : जानें अष्टमी तिथि का महत्व और प्रभाव

अष्टमी तिथि : जानें अष्टमी तिथि का महत्व और प्रभाव

पंचांग के अनुसार चंद्र माह में आठवां दिन अष्टमी तिथि के नाम से जाना जाता है। अष्टमी का संबंध चन्द्र मास के दोनों पक्षों से रहता है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दोनों ही चंद्र मास के दौरान आती हैं। अष्टमी तिथि को कुछ खास तिथियों की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि इस दौरान कुछ शुभ कार्य करने की मनाही भी होती है तो कुछ कार्य किसी कठिन काम में सफलता को देने वाले भी होते हैं।

अष्टमी तिथि के देवता

अष्टमी तिथि के देव भगवान शिव हैं, इसलिए अष्टमी तिथि के दिन भगवान शिव का पूजन करना विशेष होता है, लेकिन इसी के साथ अष्टमी तिथि का संबंध देवी दुर्गा से भी रहा है इसलिए अष्टमी के दौरान दुर्गा जी का पूजन एवं आह्वान किया जाता है। अष्टमी तिथि को जया तिथि के अंतर्गत रखा गया है और इसी कारण इसे विजय पाने वाली तिथि भी कहा जाता है।

अष्टमी तिथि के दिन किए जाने वाले कार्य

अष्टमी तिथि को कुछ खास कार्यों के लिए बहुत ही अच्छा माना गया है, जिसमें से एक है किसी पर विजय पाने की इच्छा, इस तिथि के समय शत्रु पर विजय प्राप्त करने की कामना शुभ परिणाम दिलाने में सहायक होती है। यह सफलता एवं विजय दिलाने वाली तिथि है। इस तिथि पर किए जाने वाले काम सफलता को प्रदान करने में सहायक होते हैं। इस तिथि को देवी दुर्गा की विजय का भी समय माना जाता है उसी प्रकार देवी का आशीर्वाद शक्ति बल साहस को देने वाला होता है।

अष्टमी तिथि के समय पर व्यक्ति अपनी लेखनी से दूसरों को प्रभावित कर सकता है। इस समय भाषण, घोषणाएं अपना गहरा असर डालने वाली होती हैं। इस तिथि के समय पर वास्तु शास्त्र से संबंधित कामों को करना उचित माना जाता है। शिल्प एवं कला से जुड़े कामों के लिए ही ये दिन अनुकूल माना गया है। आभूषण बनाने या उसे उपयोग करने से संबंधित कार्य इस तिथि पर किए जा सकते हैं। इस समय पर अस्त्र एवं शस्त्रों को उपयोग करना भी उचित माना गया है। युद्ध के काम भी इस समय पर करने अनुकूल होते हैं।

इन कठिन कामों के अलावा इस समय आनंद प्राप्ति के काम भी किए जा सकते हैं, नृत्य, गायन, अभिनय से जुड़े मनोरंजन के कामों को इस समय किया जा सकता है। स्त्री कर्म भी इस दौरान किए जा सकते हैं। लेकिन इस तिथि के दौरान तामसिक वस्तुओं का उपयोग वर्जित माना गया है।

अष्टमी तिथि के दिन बनने वाले शुभ अशुभ योग

अष्टमी तिथि को मुहूर्त शास्त्र और पंचांग के अनुसार कुछ विशेष स्थान मिलता है, कई कार्यों के अनुकूल होने पर भी इस तिथि को अशुभ तिथि की श्रेणी में भी रखा जाता है। ऐसे में इस तिथि से संबंधित कार्यों पर विचार की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा अष्टमी तिथि के दौरान कुछ शुभ तो कुछ अशुभ योग भी बनते हैं जो वार नक्षत्र इत्यादि योग से सामने आ सकते हैं तो चलिए जान लेते हैं इन शुभ एवं अशुभ योगों के बारे में

अष्टमी तिथि शुभ योग : अष्टमी तिथि के दिन मंगलवार होने पर यह समय सिद्धि योग का निर्माण करता है जो एक शुभ योग होता है। सिद्धिदा योग में कार्य करना शुभ परिणाम देने वाला माना गया है।

अष्टमी तिथि अशुभ योग : अष्टमी तिथि के दिन बुधवार का समय होने पर यह मृत्युदा नामक अशुभ योग का निर्माण करती है। इस समय को शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है।

शून्य तिथि : मार्गशीर्ष माह में अष्टमी तिथि को शून्य तिथि के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा चैत्र माह की अष्टमी को भी तिथि शून्य में रखा जाता है।

पक्ष रंध्र : अष्टमी तिथि को पक्ष रंध्र तिथि के रूप में भी जाना जाता है।

मन्वादि तिथि : श्रावण माह की अष्टमी तिथि मन्वादि तिथि के रूप में स्थान पाती है।

अष्टमी तिथि में जन्मा जातक और उसकी विशेषताएं

अष्टमी तिथि में जन्म लेने वाला जातक साहसी एवं पराक्रम के गुणों को पाता है। नेतृत्व का गुण काफी अच्छा होता है, व्यक्ति धार्मिक गतिविधियों में भी शामिल होता है तथा इन कामों में आगे रह सकता है। अपनी बात को स्पष्टता से दूसरों को बताना उसे सही लगता है। व्यक्ति को आर्थिक सुख संपन्नता भी प्राप्त होती है इन चीजों में उसका रुझान भी बहुत होता है। धर्म कर्म के कामों के अलावा दान एव उपकार जैसे गुणों के साथ आगे बढ़ता है और जीवन में इन बातों को महत्व भी देता है।

अष्टमी तिथि के प्रभाव से जातक में उन गुणों की शुभता है जिसके द्वारा वह रचनात्मक एवं कलात्मक मामलों में कुशलता से काम कर पाता है। जातक ज्ञान को पाने में योग्य होता है और किसी न किसी विद्या में कुशलता पाता है जिसकी जानकारी से वह अपनी आजीविका भी बना सकता है।

सामाजिक स्तर पर लोगों से जुड़ने वाला और लोगों के कल्याण के लिए काम भी करता है। अपनी ओर से जो भी काम करता है उसमें अपना पूर्ण देने की कोशिश करता है। घर परिवार एवं रिश्तों के लिए हमेशा आगे रहता है। लोगों के मध्य विवाद निपटाने और किसी को अधिकार दिलाने में व्यक्ति सफल होता है। घूमने फिरने का शौक रख सकता है। शक्ति साहस से जुड़े कामों को करने में अधिक रुचि ले सकता है। अपने अनुसार जीवन को जीना चाहेगा और स्वतंत्रता की इच्छा रखता है।

अष्टमी तिथि व्रत और त्यौहार

अष्टमी तिथि के दिन कुछ विशेष व्रत एवं त्यौहार मनाए जाते हैं। मासिक दुर्गाष्टमी के रूप में देवी पूजन का समय होता है। इसी तरह से कालाष्टमी का पर्व काल भैरव के पूजन का समय होता है। इसी के साथ जन्माष्टमी का समय भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का समय होता है। अष्टमी तिथि दिन किया जाने वाला व्रत एवं अनुष्ठान व्यक्ति को बाधाओं से मुक्ति दिलाने शक्ति प्रदान करने वाला और सफलता को देने में सहायक बनता है।

ड़ॉ विनय बजरंगी के विषय में

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